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सबने बड़े आराम से कह दिया, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, पर कौन बचाए हमें उससे, जो हिफाज़त और प्यार के नाम पर, रूढ़िवाद की फॉंसी चढ़ा दे?
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