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Teacher by profession and a writer by hobby.
जानी पहचानी आवाज़ में शोर, भैया बचाओ मुझे, भागती हुई बहन उसकी ओर आ रही थी, और आँखों के आँसुओं से मन के मैल की गठरी धुली जा रही थी।
सोचो क्या कर पाओगे बराबरी तुम, सुबह से शाम तक मेरे उन न खत्म होने वाले कामों की, मेरी उन छोटी-छोटी दम तोड़ती ख्वाइशों की...
भुवनेश रात को नशे में झूमता हुआ आता, मारपीट कर, कोमल की मर्जी के खिलाफ उसके साथ जबरदस्ती करता और सिगरेट से उसे जगह-जगह से दाग देता।
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