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Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics in Hindi language. • I am also a YouTuber, channel name- Samidha Naveen Varma • I assist my Architect husband in drawing work as I have sound knowledge of AutoCad software. . I like cooking healthy & nutritious food.
"शरीर देखा है अपना?" तुमसे इतना सुना कि उसने बिलकुल आराम करना छोड़ दिया! "फैलती जा रही हो!" तुमसे इतना सुना कि उसने खाना छोड़ दिया।
जैसे ही मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसका चेहरा देख मैने चौंकते हुए पूछा, "विशाखा तुम्हारे चेहरे पर ये निशान?" सुन कर विशाखा रो पड़ी।
स्त्री होना ही तेरा क़ुसूर है, ज़माने की इसी सोच से लड़कर जीना सीखा मैंने। हर वक्त लड़ी हूँ अपने अस्तित्व की खातिर लेकिन आज...
कन्या पूजन के दिन कन्या बड़ी मुश्किल से मिलती हैं, पता नहीं कहाँ गयीं? मैंने इतनी श्रद्धा से व्रत रखें हैं, क्या पता इस बार माता हमारी सुन ले!
हिन्दी हमारी भाषा है, गर्व से इसे अपनाएँगें। कठिन, कठोर है हिन्दी, यह भ्रम हम मिटाएंगे...कठिन, कठोर है हिन्दी, यह भ्रम हम मिटाएंगे...
गणपति जी और परिवार के सदस्यों को भी बिना मावे वाले मोदक का आनंद उठाने दें। तो देर किस बात की घर के बने मोदक का भोग लगाएँ।
शब्दों का खेल भैया, होती ढेढ़ी खीर, सही अगर पकी तो, दिल में उतर जाओगे। हुई जरा सी अगर चूक तो भैया, पल में दिल से उतर जाओगे।
जब माँ, बहन, बेटी और पत्नी का किरदार बखूबी निभा सकती हूँ, तो मैं खुद क्या हूँ? क्या अपना ही परिचय नहीं बता सकती हूँ?
तिरंगा मेरी आन-बान और शान, ऐ वतन तेरे लिए जान मेरी कुर्बान है, तू ही मेरी है जमीं , तू ही आसमान है, तू ही मेरी है जमीं , तू ही आसमान है...
इतनी मेरी सामर्थ्य नहीं,कि गुरू का ऋण उतार सकूँ।बस इतना समर्थ बना देना,जो तुमसे मिला,वो बाँट सकूँ। गुरू-चरणों में नमन।
नॉनवेज का वेज ऑप्शन, कटहल! आज मैं अपनी मनपसंद रेसिपी, कटहल की सब्जी बनाने की विधि, आप सब के साथ शेयर करना चाहती हूँ। बनाएं, खाएं और खिलाएं!
डॉक्टर्ज़ डे के दिन करबद्ध नमन है डाक्टर्स तुमको खूब मिले तुमको ख्याति।तुम सेवा करते बीमार की,सदा ऋणी रहेगी मानव-जाति।
21 जून योगा डे के दिन हर नारी को अपने लिए समय निकाल योग अभ्यास शुरू करने का निर्णय लेना चाहिए।योग अपनाइये, रोग भगाइये।
लेकिन वो कॉलेज तो बहुत दूर है। कैसे जाएगी? लड़की है और वहाँ के लड़के तो एकदम गुण्डा टाइप के हैं। उस कॉलेज में लड़के रोज़ झगड़ा करते रहते हैं।
पर मेरा 'मैं' तो खत्म हो गया था तभी, जब तुमसे विवाह-बन्धन में बंधी थी किन्तु मैं 'बुद्ध' न बन पाई तब भी, मैं 'बुद्ध' न बन पाई...
स्पर्श का अनुभव हम सभी किसी न किसी रुप में हर रोज अपने जीवन में करते है। उम्मीद है मेरी ये कविता आपके मन को कहीं न कहीं स्पर्श ज़रुर करेगी ।
लेकिन लिखने से जो सूकून मुझे मिलता है, उसका स्वाद हर कोई नहीं चख सकता। अब चाहे कुछ भी हो, मैं लिखती रहूँगी। खुद से ये मेरा चैलेन्ज है।
सम्मान चाहते हो तो, सम्मान देना भी सीखो, झुकाना चाहते हो तो, झुकना भी सीखो। जो बोया था वही काटोगे, ये सबक भी सीखो।
इन टिप्स को अपना कर इस कोरोना काल में अपना ख़ास ध्यान रखें क्यूँकि आपका स्वस्थ रहना आपके लिए और आपके अपनों के लिए ज़रूरी है।
माँ, सबसे छोटा शब्द...माँ, सबसे छोटा शब्द लेकिन शब्दकोष में शायद शब्द ही कम पड़ जाएँ, पर माँ को बयाँ नहीं किया जा सकता।
निशा तो स्तब्ध रह गई, कुछ भी न कह पाई, उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं और हाथों की पकड़ मजबूत हो गई... लेकिन उसके आगे क्या हुआ?
गौरैया एक छोटी सी चिड़िया है जो धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है। 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए मनाया जाता है।
पति द्वारा पत्नी को घरेलू कार्य के लिए पैसे देना, उसका मूल्यांकन करना आसान नहीं, ऐसे में स्त्री की स्थिति निम्न ही समझी जाएगी।
होने लगा है जिस पल से मुझको खुद में तेरे होने का एहसास। मैं खो सी गई। मैं, मैं न रही, बस तू ही मुझमें, बस तू ही ख़ास।
अतीत से निकल, कड़वी यादें भुला कर, भविष्य छोड़, बस केवल आज में जीने लगी हूँ। थोड़ा सा इश्क खुद से भी करने लगी हूँ...
चाहे बंदिशें हों कितनी भी, देख लेना एक दिन, अपना आसमाँ मैं खुद चुनुँगी, मेरे पँख विश्वास है मेरा, ऊँची बहुत उड़ान उडूँगी।
जाड़े के ऋतु में तिल की गजक, और तिलपट्टी सभी को पसन्द आते हैं। मेरी मम्मी बनाती थी सौफ्ट-सौफ्ट तिल के लड्डू, वो भी बिना मावे के।
बरसों पहले एक नन्ही कली ने खिल कर महकाया मेरा आँगन, उसका चलना, उसका हँसना, उसकी बोली से चहका मेरा आँगन। उसके बचपन की हर हरकत में...
आने वाले समय में भी कुछ परिस्थिति हमारे वश में होंगी और कुछ नहीं। ज़रूरत है कि हम मज़बूत मनोबल के साथ अपने डर को समझें और फिर...
अपने लिए तो करता है हर कोई यहाँ, निस्वार्थ किसी के लिए कभी कुछ करके तो देखो, जो सुकून दिल में महसूस करोगे फिर, कोई और खजाना मिले या नहीं।
गणतन्त्र भारत का तिरंगा कुछ पूछ रहा तुझ से ओ बन्दे उन वीरों को भी याद करो जो झूल गए फाँसी के फन्दे। भारत को सम्मान दिलाया खुद अत्याचारों को झेलकर।
आंवला कैंडी बच्चे-बूढ़े सभी लोग बड़े शौक से खाते हेैं तो आइये मेरे साथ इस बार घर पर बनाइये और इसका आनन्द लीजिए अगले आंवला सीजन तक।
अगर हम किसी समस्या को सुलझाना चाहते हैं, तो सुनकर ही किसी हल तक पहुँच सकते हैं। सुनना बड़े ही धीरज का काम है ।
मुझमें लाखों बुराई हो, पर गौर करो होंगी कुछ तो अच्छाई। कहते हैं, बुरा वक्त कुछ सिखा कर है जाता। अगर मैं नहीं आता तो 2021 कैसे आता?
लिखूँ नए वर्ष में ऐसा, मेरी लेखनी की ताकत से रुढ़ी की जंजीरों में जकड़ी हर नारी की आवाज़ बनूँ, हर बेटी, बहन और माँ के जीवन में प्रकाश बनूँ।
बस अब बहुत सह लिया, अब और नहीं सहना है मुझको, नहीं चाहिए सहारा किसी का, अब सहारा बनना है मुझको...अब सहारा बनना है मुझको...
शादी की पहली रात, एक लम्बे इंतज़ार के बाद पतिदेव ने कमरे में लड़खड़ाते हुए कदम रखा। नमिता के तो डर के मारे होश उड़ गए।
केवल माँ, पत्नी या हाउसवाइफ बन कर ही न रह जाएँ, औरों की तरह आपको भी एक ही जीवन मिला है, इसलिए सबका ध्यान रखती हैं तो थोड़ा अपना ध्यान भी रखिए।
कचौरियाँ तो आपने बहुत खायी होंगी लेकिन राजस्थानी प्याज की कचौरी का मज़ा ही कुछ और है। तो आइये जानते हैं इन कचौरियों की रेसिपी...
क्यूँ बनना चाहती हूँ, मैं औरों की तरह? मेरी अलग अपनी पहचान है, नहीं बनना मुझे औरों की तरह। आप भी ऐसा ही सोचते हैं ना?
हमारा समाज शरीर के रंग को लेकर बरसों से महिलाओं का शारीरिक और मानसिक शोषण करता आ रहा है। सोचिये इससे एक लड़की को कितना कष्ट होता होगा?
मैं, समिधा नवीन वर्मा, आप से कहना चाहूँगी कि सम्मान सभी भाषाओं का करिए पर अपनी भाषा हिन्दी को अपनाइये, हिन्दी का महत्व समझिए इसका गौरव बढ़ाइये।
सृष्टि की हर उस चीज़, हर उस प्राणी को मेरा शत् - शत् नमन जिससे मैंने कुछ भी सीखा, चाहे वो मुझसे बड़ा हो या छोटा, हर उस गुरू के चरणों में मेरी ये पंक्तियाँ समर्पित हैं।
आज़ादी तो मिल गई हमको, पर क्या सचमुच हम आज़ाद हो गए? भ्रूणहत्या, बलात्कार, चोरी,दान-दहेज की बेड़ियाँ, ऐसे दानवों के आगे हम अब भी रगड़ते एड़ियाँ!
आज मैं, समिधा नवीन, आपसे साझा कर रही रहूँ घेवर बनाने की विधि, जिससे बनेगा बाज़ार से भी बढ़िया घेवर आपके घर पर ही! इसे ट्राई ज़रूर करिये...!
बचपन की तरह हम पास नहीं, पर मन के तार जुड़े रहें! रास्तों की दूरी कितनी भी हो, पर दिल के तार जुड़े रहें!
मन करता है बिना बात के हँसु और हँसाऊँ, शीशे के आगे बन-ठन कर, मुँह तरह-तरह के बनाऊँ,अपने मन की सब्जी, माँ से कह कर बनवाऊँ, इक बार मैं बचपन जी जाऊँ।
कुछ लोगों को शिकवा है मुझसे, तुम हो गए हो बदले बदले। जो पत्ते पेड़ से टूट गए, क्या अब भी वो रंग ना बदले? क्या अब भी वो रंग ना बदले?
गृहिणी का कार्य भी उतना ही मेहनत और सूझबूझ से भरा होता है और इसमें भी सही समय पर सही प्राथमिकता चुनना शामिल होता है।
पिता एक ऐसा शख्स है जो परिवार रुपी भवन का सबसे मजबूत स्तम्भ है, पिता मजबूती, चट्टान, पहाड़, झील और न जाने ऐसे कितने शब्दों के पर्याय हैं।
ये बिना चीज़, बिना ओवन की गार्लिक ब्रेड आप जरूर ट्राई करें, विश्वास करिए, इसको खा कर घर का हर एक सदस्य आपका दीवाना हो जाएगा।
क्या तुमने सोचा था कभी, इक ऐसा साल भी आएगा, पिता का आँगन, माँ का खाना, मैके की बस रहेगी आस,ना भाभी की ठिठोली होगी, ना भैया के सँग उल्लास।
हे मानव! अब क्यूँ करता है क्रन्दन? पर्यावरण दूषित करने का तू ही तो है कारण, मोल तेरा कुछ नहीं,इनके बिना तू मान ले...तू मान ले!
घरेलू हिंसा की जड़ें केवल कुछ अशिक्षित परिवारों में ही नहीं, बल्कि शिक्षित और तथाकथित सभ्य परिवारों में भी गहरे तक फैली हुई हैं।
माँ एक ऐसा शब्द है जिसके अभाव में हम अपना जीवन कहीं न कहीं दर्द में गुज़र देते हैं, माँ के बिना जीवन सचमुच बिलकुल अधूरा लगता है...
ज़िंदगी की भागमभाग से थककर, सुस्ताने को तुम जैसा आँचल नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में, माँ, तुमसा कोई नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में!
तुम मेरी फ़िक्र करो, ना करो, मेरे रहते घर से बेफिक्र हो तुम, जानती हूँ मैं, और मानते हो तुम भी, पर पुरुष हो ना, स्वीकार थोड़े ना करोगे।
माना कि आसान नहीं, ये मुश्किल की घड़ी, पर मुश्किलों को हरा के ही मिलती हैं खुशियाँ बड़ी, मुश्किल है ये युद्ध पर असम्भव नहीं, कोरोना को हरा कर विजय पाएँगे हम।
मेरी क्षमताओं को तुम, भूल से भी कम न आँकना, प्रमाण चाहिए तो ज़रा इतिहास में भी झाँकना, बुलन्द हौसले हैं मेरे, गर्व से कहती हूँ मैं, मैं हूँ आधुनिक नारी।
ज़रूरत है मानव जाति को, फिर गीता के सन्देश की, महाभारत से भी बड़ा युद्ध है, कैसे होगी भरपाई, ब्रज की रज में होली खेलन तुम फिर से आओ कन्हाई।
दूसरों से उम्मीद अब बहुत हुयी अब खुद पे ऐतबार ज़रूरी है, अगर चाह है कि बदल जाए ये दुनिया, तो सबसे पहले ख़ुद का बदल जाना भी ज़रूरी है।
एक संकल्प नव वर्ष के लिए - जब नर और नारी दोनों मिल कर, सृष्टि की रचना कर सकते हैं, क्यूँ नहीं दोनों मिल कर इस धरा को, राक्षस विहीन कर सकते हैं?
स्वादिष्ट पेड़े घर में? जी हाँ, अगर मैं कहूँ कि बहुत ही आसान हैं तो क्या आप इसको आज़माना नहीं चाहेंगीं? तो चलिए देर किस बात की?
विमेंस वेब ने जब कुकिंग की एक मैजिकल टिप साझा करने को कहा तो मैंने सोचा क्यों ना मैं आटे का केक बनाने की विधि आप के साथ साझा करूँ।
मेरे शब्द और कर्म से पहचानों मुझको, सूरत, सौंदर्य और क्षमता तो बदलेगी उम्र के साथ-साथ, मेरी भावनाओं से मेरी कद्र पहचानी जाए, बस इतना ही चाहती हूँ। सूरत, सौंदर्य और क्षमता तो बदलेगी उम्र के साथ-साथ मेरी भावनाओं से मेरी कद्र पहचानी जाए, बस इतना ही चाहती हूँ। मेरे शब्द और कर्म से पहचानों […]
कोई क्या कहेगा, किसने क्या कहा, भूल जाएँ सब कुछ एक बच्चे की तरह, यकीन मानिए, ज़िंदगी बहुत आसान हो जाएगी, ना बोझ लगेगी, आसानी से कट जाएगी!
तैयार है भारत की लक्ष्मी, विश्व में परचम लहराने को क्यूं न इस दीवाली पर हम, छोटा सा एक प्रण करें, अपमानित न हो कोई लक्ष्मी, इसका दृढ़ संकल्प करें!
कन्या पूजन और नवरात्रि के अवसर पर सोचिये नारी यदि दुर्गा है, देवी है, शक्ति है तो नारी शक्ति को कम मत आँकिए, उसका एक रूप माँ काली भी है।
पढ़िए एक माँ का भावनाएं अपनी बेटी के लिए - बेटियाँ हैं तो अस्तित्व है मेरा, आपका और समस्त मानव जाति का, और ये केवल मेरी ही नहीं, शायद हर माँ की अनुभूति होगी।
हिन्दी के सम्मान में, कुछ भावनायें मेरी समर्पित है। बड़ों के लिए आदर हिन्दी में, छोटों के लिए प्यार है। जो हिन्दी को व्यवहार में लाए, उसके लिए आदर सत्कार है!
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