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देश में हो रहे हिंसक यौन अपराध के बारे में सुन कर कई बार हम चुप रहते हैं, आख़िर क्रोध की भी तो सीमा होती है, हर बार उतना आक्रोशित नहीं हो सकते।
पैसे बचाने के आसान तरीके ढूंढने के लिए हम महिलाओं के जुगाड़ विश्वविख्यात हैं और बात जब घर खर्च से पैसे बचाने की हो तो उनका कोई मुकाबला नहीं।
लॉक डाउन में लूडो खेलने पर हुई ऐसी हिंसा के बाद हम यह सोचने पर विवश कर हैं कि आखिर क्यों महिलाएं ऐसे हिंसक और अहंकारी पति को माफ़ कर देती हैं।
अब प्यार और सद्भाव हो, शिवाले की घंटियां, अज़ान की रूहानियत, गुरबानी की तान हो, क्योंकि मैं ही नहीं, मेरा देश भी सजग सशक्त बने यही वक़्त की पुकार है।
बहुत से लोग अब अपने आप को नॉन बाइनरी के रूप में चिन्हित करना ज्यादा उचित समझते हैं, वे कहते हैं कि उनकी पहचान सिर्फ़ उनके शारीरिक अंगों से नहीं हो सकती।
चाहे गलती हो या ना हो, किसी भी महिला को अपमानित करने के लिए उसके शरीर को इस्तेमाल करना सबसे आसान क्यों होता है, क्यों इतनी आसान है देनी बलात्कार की धमकी?
पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग कहती हैं, 'हम सामूहिक विलुप्ति की कगार पर हैं और आप पैसों और आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं?'
ख़ुशी की बात है कि महिला लेखक अपने अनूठे अनुभवों और विचारों को सक्षमता से प्रस्तुत कर रही हैं। हिंदी साहित्य और लेखन में महिलाएं अपना स्थान बनाये हुए हैं।
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