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I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | women'sweb के मंच का ह्रदय से आभार मेरी इस विचार यात्रा के साथी बनने के लिए और मेरी लेखनी को शक्ति देने के लिए l इस मंच के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत मुद्दों पर बात करना चाहती हूँ और यह एक सशक्त माध्यम है |
सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षक और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता बनीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत भी माना जाता है।
यादें अच्छी हों या बुरी, हमेशा दिल में रहती हैं। ये साल भी इक्कीसवीं सदी की मानव सभ्यता में एक नए और न भूलने वाले सबक के लिए याद रखे जाएँगे।
दूसरों की बेटियां सिर्फ एक शरीर मात्र हैं, शायद एक उपभोग की वस्तु, जिसे सब लोग, खासकर के 'मर्द' जैसे भी देखते हैं, कुछ भी कहते हैं, और उनके साथ कुछ भी कर कर सकते हैं।
जब घर लौटती हूँ और पुरानी एल्बम खंगालती हूँ, साथ बिताए एक-एक पल मन में फिर से जीती हूँ... वो मिल कर टिफ़िन खाना मुझे सब याद आता है!
"मैं सबसे कहना चाहती हूँ मुझे डायन और चुड़ैल कहना बंद कीजिए! मैं जिंदा इंसान हैं और किसी भी अप्रत्याशित घटना के लिए मुझे दोषी मत ठहराइए।"
रुद्राक्ष की माँ ने मावे से बना सेब हाथ में उठाते हुए कहा, "माँग तो हैं बहनजी। अगर आप हमारी माँग पूरी कर सकें तो ही यह विवाह होगा, नहीं तो आप ना समझो।"
"पापा, आपने मुझे कदम-कदम पर रोक कर एक बोन्साई बना दिया है। आपकी पुरानी सोच ने मुझे भी दबा दिया है, पर मैं बोन्साई नहीं बनना चाहती।"
न काम की चिंता, न घर की फिक्र, वो बारिश के पानी में नहाना, वो कागज़ की किश्ती चलाना, बहुत याद आता है गुज़रा ज़माना।
तुम्हें अपने पति या मायके से किसी एक को चुनना होगा। तुम्हें अपने पति से ज्यादा क्या अपने भाइयों से प्यार है?" सोम ने चिल्लाते हुए कहा।
मोक्षा, यह ससुराल में तुम्हारी! पहली दीवाली है और लक्ष्मी पूजा घर की लक्ष्मी के बगैर कैसे होगी? तुम दीवाली के बाद भाई दूज पर अपने मायके चली जाना।
तैयार होके उसने शीशे में स्वयं को निहारा तो देखती ही रह गई। 'कितने दिन बाद आज अच्छी लग रही हूँ!' खुद को देख कर उसे अच्छा महसूस हुआ।
कभी न टूटे अपना संग मेरे साथ यह कहना, जब मैं माँगू संग तुम्हारा, तुम भी दुआ करना कभी मेरी इन माँगों को बस आँखों से पढ़ लेना!
तुम इस व्रत को इतना मानती हो! अगर ऐसा है तो केवल पत्नी को ही पति की लंबी आयु नहीं चाहिए बल्कि पति को भी तो अपनी पत्नी की लंबी आयु चाहिए।
कहीं न कहीं मन में एक बात खटकी कि शादी के बाद महिलाओं का नाम क्यों बदलना पड़ता है? एक पहचान जो 25–30 साल में बनती है एकदम से शादी होते ही ख़तम क्यों?
इन प्रश्नों के उत्तर लेने हर वर्ष मैं आता हूँ, एक दुष्कर्म की सजा आज तक पाता हूँ, पर धरती पर चहुँ ओर कितने ही रावण पाता हूँ, सीता से भी बुरी दशा में लाखों को मैं पाता हूँ।
बंगाल के पैडमैन शोभन मुखर्जी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि मासिक धर्म के बारे में बात की जाये और इसे एक अज़ीब बात न समझा जाए। मासिक धर्म कब तक हमारे समाज में एक हौवा बन कर रहेगा। आज भी मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता या सैनिटरी पैड की आवश्यकता जैसी बातों पर बोलने […]
आखिर अमृत महोत्सव तो हम मना रहे हैं पर क्या वास्तव में इस आज़ादी का अमृत भारत की आधी आबादी को मिलता है? ये आज़ादी सभी को मिलनी चाहिए...
"साड़ी स्मार्ट ड्रेस नहीं" मानने वाले इस रेस्तरां ने इनकी एंट्री रोकी! प्रश्न है कि महिलाओं के परिधान को कब तक निशाना बनाया जाएगा?
एक ख़त जिसने महिलाओं का भारतीय सेना में प्रवेश कराया वो था प्रिया झिंगन का, जो कैडेट 001 से एनरोल हुईं और उन्होंने अपने सपने को पूरा किया!
हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति और भविष्य के लिए भाषा में परिवर्तन कीजिये अन्यथा इतने विशाल साहित्य भंडार को पढ़ने वाला कोई रहेगा ही नहीं।
शादी के एक साल तो प्रीति और चिराग के बीच फिर भी सब कुछ सही रहा पर दोनों की उम्र का अंतर उनकी विचारधारा में टकराता ही रहा।
सभी महिलाओं से मेरा एक सवाल है, ताउम्र हम सब के मन का करते हैं पर अपने मन का कुछ करने की हिम्मत क्या हमारे अंदर है?
अब भी मुझे जगना है उम्मीदों की मिटटी में कुछ इच्छाओं के बीज भी बोने हैं कुछ उनके फूल तोड़ने हैं फिर उनके फल भी लेने हैं।
कैसे स्त्रियाँ बस अपने लिए नहीं पर अपनों के लिए जीती चली जाती हैं, क्यों ये कभी अपने मन की नहीं करतीं, क्यों कभी अपने दिल की नहीं कहतीं?
क्या मीराबाई चानू की जीत से लड़कियों को न सिर्फ़ सम्मान बल्कि अनेक राज्यों से आई इन बच्चियों के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा?
देश को इतना महान वैज्ञानिक राष्ट्रपति केरूप में मिला था।देश को शक्तिशाली बनाकर सबके दिलों में घर उनने किया था।
"चार पैसे कमाती हो तो क्या घर पर ध्यान ही नहीं दोगी? अपने आप को ज्यादा मत समझो समझी? चार पैसे कमाने लगी तो अपने को बहुत समझने लगी हो।"
महिला क्रिकेट टीम का कम वेतन अपने कौशल को विकसित करने के लिए वो सुविधाएँ नहीं दिला पता क्यूंकि उनको मिलने वाली राशि बहुत कम होती है।
कुछ ऐसे कदम उठाना ज़रूरी है जिनसे महिलाओं का पारिवारिक और कामकाजी जीवन प्रभावित ना हो और खुशी-खुशी दोनों जगह वे संतुलन बिठा लें।
इतिहास के पृष्ठों में नीरजा भनोट का नाम सदा के लिए अमर हो गया है। जब भी वीरता की बात चलेगी नीरजा का नाम उसमें अवश्य रहेगा।
सीरियल में अगर बहू कुछ गलत करती तो उस दिन वही चर्चा का विषय होता और रीमा को सुन सुन कर ऐसा लगता जैसे उसे ही सुनाया जा रहा हो।
मंदिरा बेदी के दुःख को समझने से अधिक उसके कपड़ों से लोगों को परेशानी हैl क्या जींस पहनने वाली महिलाओं को दुःख नहीं होता?
समय बदल गया पर लोगों की सोच आज भी नहीं बदली। आज भी स्त्री भोग की वस्तु है, उसे उनके शरीर से ही तौला जाता है।
"अपने आप को फ़िट रखने के लिए शादीशुदा या कुँवारी होने से क्या मतलब है? मुझे किसी को दिखाने के लिए नहीं स्वयं को स्वस्थ रखने फ़िट रहना है।"
एक बड़ी खुशखबरी - दिल्ली खेल विश्वविद्यालय कुलपति पद पर भारत की पहली महिला ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी जी की नियुक्ति हुई हैं।
सासु माँ से लेकर नाते रिश्तेदारों तक, भाई भतीजों से लेकर अपनी मित्रों तक, सबकी दिक़्क़त क्यों मुझे मेरी सी लगती हैं।
उस गली के नुक्कड़ पर खड़े अब तुम नहीं मिलते। मेरे लिए अलग से चीजें लाने वाले और मुझे आँखों से ही समझाने वाले,अब तुम नहीं दिखते।
ये सारे सवाल हैं ददरी घाट पर गंगा किनारे एक लकड़ी के बक्से के अन्दर से मिली गंगा के, जो एक महिला होने के नाते मैं आपसे पूछना चाहती हूँ।
महिलाएँ कब तक घरेलू हिंसा का शिकार होती रहेंगी? घरों के अंदर छिपी ऐसी कितनी ही कहानियाँ हैं जो सामने ही नहीं आ पाती।
“ये देखो शर्मा जी ने अपने फ्लेट को एक अकेली लड़की को किराये पर दे दिया है, बुढ़ऊ का दिमाग ख़राब हो गया है।" लीना ताई ने मुँह बिचकाते हुए कहा।
बंद कमरे में अकेले बैठे-बैठे उनका जी उकताने लगा। बाहर झाँक कर देखा तो शांति थी। होली का हुडदंग ख़तम हो गया था।
भारतीय महिला सुन्दरता में किसी देश की नारी से कम नहीं है, यह बात पहली बार सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स बनकर पूरे विश्व के सामने रखी।
इस ईद कुछ तो चमत्कार सा हो, ये बेबसी ये बैचेनी अब दूर तो हो, साँसों पर अब कोई उधार ना हो, इन साँसों में फिर से बहार सी हो...
अपने हिस्से का खाना भी बच्चों को खिलाकर, मेरी भूख मर गयी कहती हो। बच्चों को खाते देख कितनी तुम खुश होती हो, माँ तुम कितना झूठ बोलती हो।
और वो सोचने लगी कि क्या इस रिश्ते में पत्नी की सहमति भी कुछ मायने रखती है या ये रिश्ता सिर्फ पति की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया?
अभी तक वह सोचती आज सोम का दिन अच्छा नहीं निकला होगा उसे ऑफिस में काम बहुत है, तो वो कहाँ अपनी भड़ास निकालेगा?
उस लड़की का चेहरा तो नहीं दिखा, पर सफ़ेद सलवार सूट में खुले लंबे बालों में खड़ी वह उसका ध्यान खींचती रही।
लॉक डाउन के दौरान मैं बहुत से साहित्य प्रेमी जनों के संपर्क में आई और अनेक हिंदी लेखकों, कवियों व साहित्यकारों को जानने का अवसर मिला।
माँ को देखा हर बात में सर झुका कर, ग़लत को भी सही बताते, यही शिक्षा पाई उनसे, ‘आत्मसम्मान चाहे ना रहे, पर परिवार को तुम बचाना...'
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