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सघन हुँ दहक हूँ जल रही हूं अग्नि बन मैं एक लेखिका हूँ जो जीवन के रंगों को कलम से लिखती है।
पुरूष वस्त्र उतार कर योगी बन गया और स्त्री वस्त्र उतार कर भोग्या! यह अंतर नेत्रों से दिखता है या आपके हृदय से?
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