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A writer by passion
बिग बॉस 13 के सिद्धार्थ शुक्ला की जीत को देख कर लगता है कि लोगों ने एक बार फिर चेहरे को चुनते हुए कुछ अहम मुद्दों को नज़रअंदाज़ किया है।
तलाश कभी खत्म नहीं होती। कम से कम मेरी तलाश इतनी उम्र बीत जाने के बाद भी वहीं पर है जहां से शुरू की थी, लेकिन ये तलाश ही तो है जो हमें ज़िंदा रखती है।
ज़िन्दगी तेरे उन लम्हों के नाम, जो इम्तिहान लेते हैं-"ज़िन्दगी जब भी मिलना, पूरी तैयारी से मिलना क्योंकि इम्तिहान इस बार तुम दोगी। जवाब इस बार तुम दोगी।"
तेरे चांद की चांदनी में ऐ आसमान, मेरी जिल्द की परतें अब सुलगती हैं - चांदनी हो या चाहत, वक़्त के साथ सबके मायने ज़िन्दगी अनुसार बदल जाते हैं।
ना से बाहर आकर देखिए, ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है, ये दुनिया बहुत खूबसूरत है - "हर रोज़ गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं, ऐ ज़िन्दगी देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं।"
करवा चौथ का त्यौहार मनाना ही है तो इसकी ज़िम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर ही क्यों? जब खानपान, रहन-सहन, रिश्ते नाते, सब बदल गया है, तो ये चीजें क्यों नहीं बदली?
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