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सुनैना जी को अपनी बहु रूबी थोड़ी कम पसंद है क्योंकि बेटे अमित ने सबकी मर्जी के खिलाफ जाकर रूबी से प्रेम विवाह किया था।
साथ लेकर सबको चलेगी, लेकिन किसी के भी लिए कदम पीछे नहीं लेगी वो, अपना आत्मसम्मान खोएगी नहीं वो। वादा रहे ये हर नारी का खुद से...
उसकी उदासी बिजॉय तुरंत भांप गया और बोला, "कुछ वचन हम भी एक-दूसरे से लेना चाहते हैं। बोलो ना शर्मिष्ठा, मुझसे क्या वचन लोगी तुम?"
यदि स्त्री अग्रसर हो रही है प्रगति पथ पर, तो ये बात समाज को खल जाती है। क्या लड़की को ज़िन्दगी सिर्फ औरों की इज्जत रखने को दी जाती है?
अगर बेटी कहे, "माँ मुझे किसी ने छुआ, मुझे कुछ अजीब सा हुआ", तब उसको बातों में हम ना बहलाएँ। सही-गलत उसे का फर्क समझाएँ।
कौन कहता है शर्म नहीं आती पति के आगे हाथ फैलाने में? पूछो उस स्त्री से जिसने दो साड़ी में सालों साल बिताए हैं, नहीं हक़ उसका क्यूंकि...
रिद्धिमा के पिताजी अत्यन्त रूढ़िवादी विचारधारा के थे और उन्होंने रिद्धिमा को कभी ना अपनाने की कसम खा रखी थी।
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