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तुम शक्ति हो ये बात छुपाई जाती है। पहले देवी बनाते हैं समाज वाले फिर उसकी औकात बताई जाती है। तुम पराया 'धन' हो, बस ये बात बताई जाती है।
"हम सभी को सुरभि पसंद आई, हम और कुछ नहीं चाहते, दहेज तो हम ना लेते हैं ना देते हैं।" तभी सुरभि ने कहा, "मुझे कुछ बोलना है। मुझे दहेज चाहिए।"
बेटियों को हमेशा यही सिखाया जाता है, ससुराल ही तुम्हारा घर है, पति परमेशवर है, पति की खुशी में तुम्हारी खुशी है, लेकिन बेटों के लिए ऐसा कुछ नहीं कहा जाता।
लापरवाह, बेपरवाह हूँ, तेरे नज़रिए से मैं कोरी अफ़वाह हूँ। चमत्कार हूँ, चिंगारी हूँ, अपने आप में मैं संपूर्ण नारी हूँ।
मैंने तो शादी से पहले ही शर्त रखी थी कि मुझसे साड़ी पहनने को मत बोलना, मैं तो किसी की नहीं सुनती। मेरी लाइफ है कैसे भी कपड़े पहनूं, तू क्यों इतना सुनती है?
सबसे मिल बिन, ना रह पाऊंगी! भाई मेरे, मैं जल्दी आऊंगी!
दोस्तों, आपकी क्या राय है? क्या औरत के लिए मां ही रहना जरूरी है? या साथ साथ अपनी पहचान बनाना भी? क्या मधु को रमा जी ने सही सलाह दी?
पसीने-पसीने हो रखी हो, बाल देखो सफेदी आने लगी है, आज शाम को पार्टी में जाना है। ऐसे जाओगी? सब बोलेंगे ये समीर के साथ बुढ़िया कौन है!
आज हर तरफ एक ही शोर मचा है, नेपोटिज़म। क्या कोई भी ऐसा क्षेत्र है जहां ये ना होता हो? ज़रा नज़रें घुमाएं और पहचानें अपने आसपास भरे नेपोटिज़म को...
जीवन में सभी युगल के बीच नोंक-झोंक होती रहती है, पर कभी-कभी यह स्तिथि अजीब मोड़ पर ही चली जाती है...तो फिर क्या होता है?
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