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इन दिनों की तनहाई में, मैं और मेरी साड़ियां अक्सर ये बातें करते हैं, तुम ना होती तो ये झुमके, नौलखा हार ना होता, ये मैचिंग चूड़ियों की बहार ना होती!
डॉक्टर के साथ की गयी हिंसा का ये सिलसिला नहीं रुका तो नतीजे गंभीर होंगे। भविष्य में न तो समाज को अच्छे डॉक्टर मिलेंगे और न ही मरीज़ों को समय पर इलाज मिलेगा।
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