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"हाँ! मीनल तू सही कह रही है पर हमने भी तो अपने जमाने में बहुत काम किए हैं । आजकल की लड़कियां तो कुछ करना ही नहीं चाहती हैं । "
जब पूजा की बारी आई, रंजना ने एक गिफ्ट पैक अपनी तरफ से कुहू को दिया और कहा, "तुम मेरी घर की लक्ष्मी हो! और मैं भी तुम्हारी माँ जैसी हूँ।"
अंजलि का साथ सास ने बहुत अच्छे से दिया। अंजली के इतने आर्डर दिन भर में आ जाते थे कि सास-बहू को पूरा करने में मुश्किल हो जाती थी।
इधर भूमि के ऑफिस में इतना काम रहता था कि वो किचिन में ज्यादा वक्त नहीं दे पाती थी। सास के जाने के बाद भूमि ने खाना होटल से मँगवाया।
अगर आप इसी मीनल से कुछ दिन पहले मिलते तो वो परेशान रहने वाली मीनल थी। लेकिन ये बदलाव आया कैसे? अभी कुछ दिन पहले की बात है...
चार दिन के लिए ही मायके गई थी वो, लेकिन उसके जाने के नाम से ही घर में परेशानी हो गयी थी। बात ये भी थी कि ससुराल में उसे आराम न मिलता था।
नूरी का खुशी का ठिकाना नहीं था, आज नूरी की पहचान की जिम्मेदार उसकी सास थी। कुछ दिनों में नूरी को पूरा शहर पहचानने लगा
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