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Vidhi Jain

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बुढ़ापे में बहु ही साथ देगी

"हाँ! मीनल तू सही कह रही है पर हमने भी तो अपने जमाने में बहुत काम किए हैं । आजकल की लड़कियां तो कुछ करना ही नहीं चाहती हैं । "

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बहू, इस बार तुम्हारे मायके से सामान नहीं आया…

जब पूजा की बारी आई, रंजना ने एक गिफ्ट पैक अपनी तरफ से कुहू को दिया और कहा, "तुम मेरी घर की लक्ष्मी हो! और मैं भी तुम्हारी माँ जैसी हूँ।"

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मेरे बेटे से अच्छी तो मेरी बहू है…

अंजलि का साथ सास ने बहुत अच्छे से दिया। अंजली के इतने आर्डर दिन भर में आ जाते थे कि सास-बहू को पूरा करने में मुश्किल हो जाती थी।

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बहू! खाना बनाना सिर्फ तुम्हारा नहीं मेरे बेटे का भी काम है…

इधर भूमि के ऑफिस में इतना काम रहता था कि वो किचिन में ज्यादा वक्त नहीं दे पाती थी। सास के जाने के बाद भूमि ने खाना होटल से मँगवाया।

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मैं अपनी खुशियों का ख्याल खुद रखूंगी…

अगर आप इसी मीनल से कुछ दिन पहले मिलते तो वो परेशान रहने वाली मीनल थी। लेकिन ये बदलाव आया कैसे? अभी कुछ दिन पहले की बात है...

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मुझे सुकून के दो पल मायके में ही मिलते हैं…

चार दिन के लिए ही मायके गई थी वो, लेकिन उसके जाने के नाम से ही घर में परेशानी हो गयी थी। बात ये भी थी कि ससुराल में उसे आराम न मिलता था।

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सास ने दी नयी पहचान

नूरी का खुशी का ठिकाना नहीं था, आज नूरी की पहचान की जिम्मेदार उसकी सास थी। कुछ दिनों में नूरी को पूरा शहर पहचानने लगा

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