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मेरे पैरों में गिर कर उसने रो-रो कर कहा था कि उसकी बच्ची को छोड़ दिया जाए, पर उसके ससुराल वालों के साथ-साथ मैं भी एक क्रूर हत्यारा बन बैठा था।
मैं हर दिन यह खत तुम्हें लिखती हूं क्योंकि मेरी बातें सुनने के लिए तुम्हारे पास वक्त नहीं है, ना ही मेरी भावनाओं को समझने का.. काश कि तुम समझ पाते मैं भी एक भावनात्मक प्राणी हू, कोई वस्तु नहीं !
बच्चों के अंदर सहनशीलता लाने के लिए हमें खुद उनका रोल मॉडल बनना होगा, हमें खुद एक उदाहरण के तौर पर स्वयं को अपने बच्चों के सामने पेश करना होगा।
बच्चों के लिए क्या ज़रूरी है ज़रा सोचें! आज हम सभी अति भौतिकता की ओर आंखें मूंदकर चलते जा रहे हैं, बिना यह सोचे कि उसका परिणाम हमारे बच्चों पर क्या होगा?
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