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जहां मैं एक तरफ शादी से पहले कमाती थी, वहीं घर छोड़ते हुए, मेरे पास अपने और बेटी के लिए, कुछ भी ठोस न बचा और मेरे पति ने मुझे पैसे देने सी इंकार कर किया।
जो हो रहा था, इसकी वजह से मैं डिप्रेशन में आ गयी, समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ, पर जब बेटी को सामने देखा तो तुरंत खुद को कहा, 'अपनी बेटी के बारे में सोच ज़रा...'
अगर मेरी फ़ैमिली और मेरे पति जैसे लोग आपके पास भी हैं, जिनको आपके होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो बी वैरी केयरफुल और अपनी ज़िंदगी को बर्बाद ना होने दें।
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