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मैं ना कहती थी कि अपनी सौम्या धाकड़ छोरी है। अब तो मैं यही चाहूंगी कि मेरे राजेश को भी सौम्या बेटी जैसी एक छोरी हो जाये।
व्रत रखने से शरीर के कई विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। साथ ही पाचन दृष्टि से भी काफी फायदेमंद होता है।
हमारी पहचान हमारे लिंग से नहीं, हमारी सोच से होती हैं। जब तक हमारे समाज में लैंगिक असमानता रहेगी तब तक हमारे समाज का विकास, वंचित रहेगा।
सौम्या मैं कितना अभागा हूँ। जो मैंने मेरी मां के कोख से जन्म नहीं लिया। मेरी वजह से मेरी मां और बहनों को इतनी तकलीफ झेलनी पड़ी।
अक्सर लोग तनाव को गंभीरता से एक बीमारी के रूप में नहीं लेते हैं और इस वजह से तनाव हमारे ऊपर शारीरिक और मानसिक तौर पर हावी होता जाता है।
रोज़गार के नाम पर जिन्होंने ठगा है, ना भूलिए वो किसी का भी सगा है, चुनावों में बड़े दावे करने वालों से, आज रोजगार मांगों तो लाठी मिलती है।
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