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डॉक्टर्ज़ डे के दिन करबद्ध नमन है डाक्टर्स तुमको खूब मिले तुमको ख्याति।तुम सेवा करते बीमार की,सदा ऋणी रहेगी मानव-जाति।
आँख खुली तो खुद को अस्पताल में पाया। खैर ये सोचकर तसल्ली हुई कि चलो रब ने जीवन बख्शा। पर जैसे ही शरीर को करवट देने की सोचा तो ये क्या....
जब तक पैसे चाहिए होते है तब तक माँ बाप अच्छे लगते है, पर जब वो आश्रित हो जाते हैं तो बोझ लगते हैं। पर क्या सच में माता-पिता बोझ होते हैं?
इस चिंता भारी महामारी में, जहां हर तरफ़ तनाव देने वाली न्यूज़ है। ऐसे में अपनी सेहत के साथ साथ मानसिक सवास्थ का भी ध्यान रखना ज़रूरी है।
कोरोना की दूसरी लहर ने सभी माँ बाप को सिखाया और सचेत किया की अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता देना कितना ज़रूरी है।
डॉक्टर मानने को भगवान स्वरूप होते है। हमने कई बार अनुभव किया है जब डॉक्टर जीवन दाता बने और निराशाजनक रोगियों के जीवन में जीजिविषा जागृत की।
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