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दादी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी, पर अपनी ज़िद और बूते पर बच्चों को पढ़ाया। कम-ज्यादा जैसा भी हो सका, एक अच्छी जिंदगी देने की पूरी कोशिश की।
एक अच्छी पटकथा, सधा हुआ निर्देशन, और जीवंत अभिनय इन सब से यह कहानी एक सशक्त महिला के किरदार को उजागर करती है।
आज का समय ऐसा है कि हर कोई गिरगिट से भी तेजी से अपना रंग बदल लेता है। आज जो जैसा है कोई भरोसा नहीं कल को वो ना बदल जाए।
सोनू, तेरे जन्म के बाद जब पहली बार सूरज ने तुझे गोद में उठाया तो बस ऐसा लगा जैसे हमारा मयंक वापस आ गया।
उतरते इन पायलों की कसम,तू मुझे आज भी मेरे ही रूह में क्यों किसी आत्मा की तरह नजर आते ही दिल को तेरी सारी बाते मुझे एक एक कर के रुला रही हैं।
इस संसार में प्यार ही एक ऐसा शस्त्र है, जो अपने प्रेममयी प्रहार से समीप लाता है, जो जि़ंदगी जीने के लिए संजीवनी साबित होता है ।
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