कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कम्युनिटी प्रस्तुत
माँ की नींद!

माँ के मुस्कुराते ही मुस्कुरा उठती हैं सूखे वृक्षों की सभी शाखाएं! माँ की नींद पर सदैव भारी पड़ती है पिता की अनुपस्थिती!

टिप्पणी देखें ( 0 )
हाय-हाय हम क्यों मचाएं

कामकाजी हो, हर वक्त चलती नहीं क्यों, बड़े शहर और ओहदे पर आकर, बिंदी तजती नहीं क्यों, हाय, तुम्हारी आंखों से लाज का काजल बहता जाए, क्यों।

टिप्पणी देखें ( 0 )
इंतज़ार

उस लड़की का चेहरा तो नहीं दिखा, पर सफ़ेद सलवार सूट में खुले लंबे बालों में खड़ी वह उसका ध्यान खींचती रही।

टिप्पणी देखें ( 0 )
पटाखों की रात

क्या खूब लगती हैं शादियों वाली रातें, जब रौशनी पटाखों से होती है, दुल्हन को अंगारों से जलाकर नहीं।

टिप्पणी देखें ( 0 )
बहुत भीतरघुन्ना है तुम्हारा प्यार…

एक बार तो तुमने नज़रें भी मिलायीं, चाहत को यकीन हो गया, उन्हें हमसे प्यार है पर बहुत भीतरघुन्ना है तुम्हारा प्यार, खुलकर कुछ बोलता ही नहीं।

टिप्पणी देखें ( 0 )
एक टीस सी उठती है

जो औरों के बारे में सोच कर खुद की परवाह करना छोड़ दो, तो खुद की नजर से नजर कैसे मिला पाओगे अब।

टिप्पणी देखें ( 0 )
category
community-published
और पढ़ें !

The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!

Women In Corporate Allies 2020

All Categories