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अपने अधिकारों के लिए मैं लडूंगी हर बार, ना छीन पाओगे मेरी तुम सत्ता, करती हूं ये ऐलान, ना ललकारना मुझे, बन जाऊंगी चंडी करने सबका संहार।
जो रह गयी थी ज़िम्मेदारियों के बीच अधूरी, अब उसको पाने के नए रास्ते निकालते हैं, चलो फिर एक नए रास्ते पर अपने कदमों के निशाँ बनाते हैं...
"अगर आपको अपना जीवन खुशहाल करना है तो आपको अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा जिसे प्राप्त करके आप एक अच्छा जीवन बिता सकते हैं।”
ना जाने कब मेरे जन्म की आवाज़, कानों का दर्द बन गई, ना जाने कब बाबा के कंधों का बोझ बन गई, पता ना चला कब मैं भाई के लिए प्रश्न बन गई...
दुनिया ने इस मन को आज विद्रोही बनाया है, जब किसी अबला की इज्ज़त को सरेआम खींचा है, फट गए हैं कान किसी के करुण क्रंदन से...
गुज़र जाऊं, सारे चाहे-अनचाहे मोड़ से और तब परिभाषित हो जाएगी, जीवन की मेरी परिभाषा।
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