कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
कोई दुनिया की महफिल में अकेला है, कोई अकेली तन्हाइयों में साथ ढूंढ लेता है। कभी फूलों की महक में जिंदगी मिलती थी, अब तो बस...
बॉम्बे बेगम्स इस बात को स्थापित करने में कामयाब हो जाती है कि सभी महिलाएं समाज की एक ही मानसिकता से लड़ रही है और वह है पितृसत्ता।
साथ लेकर सबको चलेगी, लेकिन किसी के भी लिए कदम पीछे नहीं लेगी वो, अपना आत्मसम्मान खोएगी नहीं वो। वादा रहे ये हर नारी का खुद से...
बेलों सा लहराने की, नदियों सा बल खाने की, हवाओं सा इठलाने की, झरनों सा बहने की, भंवरों सा डोलने की, कोयल सा कुहकने की अभिलाषा है...
पढ़ना सिखाया जिसे, सिरहाने रखकर कहानियां सुनाती जिसे, गोदी में लिटाकर लोरी सुनाती जिसे, छोटी सी बिटिया मेरी, जाने कब बड़ी हो गई।
इन्हें क्यूँ कहते हैं ये जोड़ कर नहीं रखती घर, ये नहीं रहना चाहती बना कर किसी से, सिर्फ इसलिए क्यूंकि कभी कभार कर देती है जरा सी शिकायत!
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address