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अब जो तुम चले गए हो तो अब मत लौटना। आने वाला वर्ष अब बस सभी के दुख-दर्द को हरने वाला हो। अब बस सबके चेहरे पर मुस्कान हो मीठी और कुछ नहीं।
तीन रंग का तिरंगा है गर्व मेरा, जिस पर फ़ना है सर्वस्व मेरा। ऐसे पथ पर चले अपने ध्वज को लिये, अब ना आता नज़र कोई तूफ़ान मुझे।
भारत का परचम फहरा है सारे विश्व में आज, जन जन के मन में भाये है मेरा हिंदुस्तान, हर हिंदुस्तानी गाये है मेरा देश महान।
बात उन दिनों की है जब मैं गर्भवती थी। सेना के किसी जवान को देखती तो सोचती कि हाय! इनकी माँ कितना गर्व महसूस करती होगी।
गणतन्त्र भारत का तिरंगा कुछ पूछ रहा तुझ से ओ बन्दे उन वीरों को भी याद करो जो झूल गए फाँसी के फन्दे। भारत को सम्मान दिलाया खुद अत्याचारों को झेलकर।
पाँव की झांझर, कमर की करधनी, हाथो की चूड़ी कंगन, कंठ का हार, बिंदी ललाट की, मांग का सिंदूर लाल, लिख दिया गया रमणी का सारा श्रृंगार।
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