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आइये बढ़ते हैं नए कल की ओर…

मुझमें लाखों बुराई हो, पर गौर करो होंगी कुछ तो अच्छाई। कहते हैं, बुरा वक्त कुछ सिखा कर है जाता। अगर मैं नहीं आता तो 2021 कैसे आता?

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अलविदा 2020!

अब कुछ वक्त की ही है देरी, 2020 को अलविदा कहने में। 2020 के साथ साथ इस आपदा को भी पीछे ही छोड़ आएगा 2021 का नया साल...

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बदलाव सभी चाहते हैं पर बदलाव का हिस्सा नहीं बनना है…

अब हर पेशा अच्छा माना जाता है, अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। बदलाव सभी चाहते हैं पर उस बदलाव का हिस्सा कोई भी नहीं बनना चाहता ।

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बल्लीमारा की गलियों का बेज़ोड़ उर्दू शायर मिर्ज़ा ग़ालिब

मिर्ज़ा ग़ालिब ने अपने बारे में खुद ही कहा था कि लोग उनके मरने के बाद ही उनकी शायरी के उच्च स्तर को समझेंगे और उनका सही मूल्यांकन करेंगे। 

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एक अच्छी परवरिश

बच्चों का तो काम होता है ज़िद करना पर उन्हें समझाना हमारी जिम्मेदारी होती है। उनके लिए क्या सही है ,क्या गलत बताना होता है ,समझाना होता है ताकि वह समझे।

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मेरा बस एक ही सवाल है, क्यूँ?

मैं भी सुनहरे सपने लेकर आयी थी, फिर बेदर्दी से तोड़े क्यूँ? मैं भी नभ को छूना चाहती थी, फिर पैरों में ये बेड़ियाँ क्यूँ?

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