कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
प्रेम तो गुस्से , नाराजगी, खामोशी हर रूप में है, लेकिन शर्त यह है कि समझने वाले इंसान नहीं हैं, क्योंकि लोग प्रेम को भी दिखावें का पर्याय मानने लगे है।
और आँखों ही आँखों में तय कर लेती हैं, अपनी-अपनी भूमिकाएं, नाचने, बजाने, गाने और बात-बेबात पर कहकहे लगाने की!
औरत कमजोर नहीं है वो लोगों की बातों से अपने को कमजोर समझती है, जो एक नये जीवन को दुनिया में ला सकती है वो कुछ भी करने की ताक़त रखती है।
जो आज मुझे नहीं समझे, उनसे मैं क्या उम्मीद करूँ, मूरत मैं अभी अधूरी हूँ, पूरी होने की आस लिए।
ज़िंदगी की उलझनों से ठहरकर फिर याद दिलाना, हम एक दूसरे के लिए बहुत ख़ास, इस दिन के बहाने ही सही, एक बार फिर अपने प्यार को पुलकित करते हैं...
जब भी जरूरत होगी एक आवाज़ देना तुम्हारा ये भाई हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा मिलेगा, मरते दम तक...
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