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जब तक आप अपने लिए आवाज़ नही उठाओगे तब तक आपको दबाया जाएगा, मारा जायेगा। अब बस आपको तय करना है...
अब बस उसका हथियार उसी पर इस्तेमाल करिये। अपनी कमजोरी को ही ताकत बनाईये। उसके बाद एकदम तो सब ठीक नहीं हुआ पर...
आज सौम्या निकल पड़ी घर से एक अनजानी अनचाही राह पर आंखों में आंसू थे लेकिन चेहरे पर एक सुकून था क्योंकि अब बस बहुत हो चुका था।
अगर तुम हिम्मत करोगी तब ही कुछ होगा। तुमने बेटे की चाहत में अपनी बेटियों की जिंदगी खराब कर दी है। अब बस और बेटीयों की बलि नहीं चढ़ाएंगे।
तुझ पे तो मैं ऐसे हक़ जताती हूँ, पूछे मुझसे मेरा पता तो तुझे घर बताती हूँ। ऐ कलम, ये दोस्ती तुझसे क्या रंग लाई है, तू ही मेरी पूंजी, मेरी ज़िन्दगी की कमाई है।
दीदी से बात होती तो जीजाजी के दोस्त की फैमिली की तारीफ ही करतीं थीं फिर ये सब कैसे हो गया...
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