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कम्युनिटी प्रस्तुत
बुजुर्गों का जन्मदिन नहीं मानते हम तो…

मामा और दादी का जन्मदिन तो एक ही तारीख और महीने में पड़ता है। और हम यहाँ आ जाते है, दादी का जन्मदिन नहीं मनाते।

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कल्पना एक प्रेम की…

मैं कल्पना में उसकी तस्वीर साथ रखती हूँ, चलो आज मैं तुम सब से उसकी बात करती हूँ। चलो आज मैं उसे तुम सब पहचान करती हूँ...

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रंजनी हूँ! मैं, अब सिर्फ मैं हूँ

मैं रंजनी(आनंदित) हूँ, रजनी(रात)नहीं, मैं, अब सिर्फ मैं हूँ, किसी की अब मैं कोई प्रवंचना नहीं। मैं राही हूँ अपने ही मंज़िल का...

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तब समझना प्रेम पूर्ण और साकार हुआ है…

जब एक के बिना दूसरा अपूर्ण हो जाए, तब समझना इस संसार में सबसे बड़ी जीत हंसिल की है तुमने। तब समझना प्रेम पूर्ण हुआ है!

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स्त्री के अधिकारों से ज्यादा उसके कर्तव्य बड़े हो जाते हैं…

वो भूल गई इस दुनियाँ में स्त्री को ये अधिकार कहाँ, अपने लिए वो जिये सदा दुनिया को ये स्वीकार कहाँ। फिर भी वह आज भी जीती रहती है...

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गांधी जयंती पर उनकी अर्धांगिनी कस्तूरबा को भी याद करना ज़रुरी है

गांधी आज जितने गर्व से याद किए जाते हैं, उसमें बा का सबसे ज़्यादा योगदान है क्योंकि गांधी ने महान बनने की सीढ़ी बा के सहारे ही चढ़ी है।

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