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कम्युनिटी प्रस्तुत
बेटियां…

एक घर को रोशन कर फिर दूसरे घर विदा हो जाती बेटियां। सबको अपना बना फिर परायी हो जाती बेटियां। कैसी रीत है ये बनाई...

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पालतू चिड़ियां भी होती हैं प्यारी मित्र

मेरे भाई को और मुझे बचपन से ही पालतू जानवरों का बहुत शौक है। अब अपने दोनों बच्चों को भी प्रकृति और जानवरों के साथ रहना सीखाया है। 

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वो सरदार जी…

आज कल कौन करता है मदद या कौन पूछता है कि क्या हुआ या तुम को क्या परेशानी है। आज भी मैं अपनी 10 साल की बेटी को देखती हूँ तो वो सरदार जी याद आ जाते हैं।

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इंतज़ार आज भी…

जब राजेश पहुँचा तो घर पर ताला था। पड़ोसियों ने बताया की वो दो दिन पहले ही किसी को बिना कुछ बोले और बताए घर खाली करके और पूरा सामान लेकर जा चुके हैं...

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इन्साफ की डगर पर ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के…

सदियों से छात्र किसी भी देश की विपरीत परिस्थितियों में एक शक्ति के रूप में उभर कर आऐ हैं। ऐसे बहुत से उदाहरण आज भी हैं जहां छात्रों ने कोरोना काल में मिसाल पेश की है।

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आ लौट चलें उस बचपन में…

चूहे भी प्यारे हैं, रहते साथ हमारे है, अपना घर उनका है, तो क्या उनका घर भी अपना है? बातें ये हमें हँसाती हैं, आज सोचते हैं तो आँख भर आती है...

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