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कभी नन्हे कदमों से चल कर माँ के पास आती हैं, कभी माँ की उंगली छोड़ कर अपने अस्तित्व को पाती हैं! बेटों के बराबर, या उनसे भी आगे बढ़ जाती हैं ये बेटियाँ।
सोनू सूद ने अपने जन्मदिन के उपलक्ष में प्रवासी मज़दूरों को तीन लाख नौकरियों के इन्तज़ाम की घोषणा की है। सच में वो रील हिरो से रियल हिरो बन गये हैं।
शैलेंदर व्यास ने एक अलग तरीके से JL50 की कहानी कहने की कोशिश की है जिसके ट्विस्ट और टर्न पूरी सीरिज देखने के लिए मजबूर कर देते हैं।
"जा बेटा! तू भी कुछ अपनी चोट पर दवाई लगा ले। तेरी चोट तो, छोटू से भी ज्यादा है।" ये सुनने के बाद, रिमी को अपने दर्द का एहसास हुआ और मीरा जी को, रिमी की चोट का!
आज फिर तन्हा पाती हूँ ख़ुद को, इस भीड़ में! और इसी तन्हाई में, मुझे फिर ये ख़्याल आता है कि एक रोज़, तुम को एक पाती लिखूँ! और लिख दूँ, उसमें अपने सारे जज़्बात!
आखिर! कौन है वो? जिसके लिए, मेरा मन! व्याकुल सा है! इस संसार से, विरक्त रहकर भी, किसके लिए, मेरा मन, इतना आसक्त है?
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