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कम्युनिटी प्रस्तुत
हिंदी भाषा अपनी भाषा यानी अपनी हिंदी लगती थी

ढेरों कहानियाँ,उपन्यास और कॉमिक्स जीवन इन्हीं उमंगों पर हिलोरें मारता चलता बढ़ता रहता। हिंदी भाषा अपनी भाषा यानी अपनी हिंदी लगती थी।

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इंतज़ार

बच्ची की माँ ने कहा "वो तो जा रही है अगर वो हमारे जाने के बाद आये तो कह देना, हमने बहुत देर इंतज़ार किया और चले गए"।

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गुलाबी यादें

बिना कुछ कहे-सुने जब मुस्कुराते थे हमारे अधर, वो गुलाबी शामों का हर अतीत याद आया। आख़िरी बार भीगे थे ये गुलाबी गाल

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शब्दों का खेल

शब्दों का खेल भैया, होती ढेढ़ी खीर, सही अगर पकी तो, दिल में उतर जाओगे। हुई जरा सी अगर चूक तो भैया, पल में दिल से उतर जाओगे।

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मेरी माँ!!

तेरी आंचल की छांव पाने को ये दिल तरसता है, भले ही फटे आंचल में तू हर बार सिमटती थी, पर उसी आंचल से मेरे लिए दुआएं बरसती थी।

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मन, वचन और कर्म से जो हुआ गुलाम नहीं…

नैतिकता के लिए जो हुआ अधीर, स्वतंत्र असल में है वही। झूठ, बेईमानी और भ्रष्टाचार का,विरोध, जिसका संघर्ष रहे। बुराइयों का जिस पर असर नहीं...

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