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कम्युनिटी प्रस्तुत
कुछ आशाओं के पेड़ भी हैं तो जिम्मेदारियों के पहाड़ भी तो हैं

अब भी मुझे जगना है उम्मीदों की मिटटी में कुछ इच्छाओं के बीज भी बोने हैं कुछ उनके फूल तोड़ने हैं फिर उनके फल भी लेने हैं।

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दुःख

भोर निकलने से पहले हीअचानक छोड़ जाए जीवनसाथी। कैसे तुम उसके संस्कारो पर सवाल उठाते होसंस्कारो से बड़ा है उसका दुःख क्यों ये भूल जाते हो।

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मेरी मम्मा

ना जाने क्या जादू आता था उसकोउसकी बुलाहट मेरे दिल को छू लेती थीउसकी नज़र भर बातें, मेरे अंतर्मन में बस जाती थीं।

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गुरू-चरणों में नमन

इतनी मेरी सामर्थ्य नहीं,कि गुरू का ऋण उतार सकूँ।बस इतना समर्थ बना देना,जो तुमसे मिला,वो बाँट सकूँ। गुरू-चरणों में नमन।

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खुशियों का मोलभाव क्यों?

शिप्रा ने सोमेश को घूर कर देखा। गाड़ी में बेठ उसने बोला, “यह तुम क्या मोलभाव कर रहे थे काउंटर पर? शोरूम में कोई मोल-भाव करता है क्या?”

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तुम दरवाजा कभी मत खोलना

मीनाक्षी ने सखी को परेशान देख अधीर होते हुए पूछा कि, “सच सच बता सुगंधा, क्या हुआ है? तू इतनी परेशान क्यों है?”

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