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नूरी का खुशी का ठिकाना नहीं था, आज नूरी की पहचान की जिम्मेदार उसकी सास थी। कुछ दिनों में नूरी को पूरा शहर पहचानने लगा
आज मीनू तमतमा गई और उसने पूछा, “क्यों बुआजी?” बुआजी भौंचक हो गई। उनकी बोलती बंद थी और मीनू बोलने के मूड में थी।
अपनी जड़ों की तरफ लौटने का वक़्त आ गया है। अब और देर नहीं कर सकते। इस सुंदर प्रकृति को सहेजना है अपने लिए व अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए।
लगा धक्का फिर एक बार, इस बार हुआ पहले से अधिक प्रहार।पर हम कर्तव्य निभाएँगे, ज़िम्मेदारी ली है तो तुम्हें सिखाएंगे।
उगता हुआ सूरज, बिखेरेगा फिर वही मुस्कान, इस लंबी रात का निश्चित ही होगा सवेरा, नाचेंगे गायेंगे परिवार दोस्त, होगा खुशियों का फ़िर से बसेरा।
देश को इतना महान वैज्ञानिक राष्ट्रपति केरूप में मिला था।देश को शक्तिशाली बनाकर सबके दिलों में घर उनने किया था।
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