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कम्युनिटी प्रस्तुत
जिगर का टुकड़ा!

ये क्या मम्मी-पापा भी, उनको देख रूही दौड़कर उनसे लिपट गई। उसकी आंखों से झरझर आंसू बह रहे थे।पार्टी खत्म होते ही उसने पराग से माफी मांगी।

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रहस्य

इक रोज स्कूल की किताब में,पढ़ी इस रहस्य की गहराई।महसूस किया यौवन के नए नए रहस्य को।कई बार झेलना भी पड़ता था,कुछ कुछ समस्याओं को।

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बावरा मन

पानी की धार पकड़ ना आये, पवन बंधे ना कितने डाल के देखे डोरे। बावरा मन बचपन का सोचे सोचे, और भर भर जाए सपनों के पन्ने कोरे।

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माँ की महिमा

माँ के इस छोटे से शब्द में पूरी सृष्टि समाजाएं, माँ की महिमा को कौन शब्दों में बांध पाएं। ममता को देख भगवान भी माँ में समाएं।

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प्यार बांटते चलो

फरिश्ता नहीं इंसान बनकर इंसानियत का गीत गाते हैं। जज्बे और हिम्मत की कड़ी से कड़ी जोड़,प्यार बांटते चलो, बस प्यार बांटते चलो।

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बिटिया मेरी!

कच्ची कचनार सी उँगलियों का स्पर्श ऐसा,तितलियों के परों की नाजुक छुवन के जैसा। बिटिया मेरी खूबसूरती कुदरत की जीत लेती है।

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