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हमसफर के साथ समय बिताकर देखें। प्यार को कुछ अलग अंदाज में बताकर देखें। ठहरती जिंदगी में एक कंकड़ प्यार का मारकर तो देखें कैसे नयी जान आ जाएगी।
बर्फ के फूल जब-जब बरसते हैं, लगता है धरती-धरती नहीं, जन्नत हो मानो,कुदरत की इस नुमाइंदगी को देखने को, कितने दिल धड़कते हैं।
बेटा चाहने वालों को, कहते सुना है आजकल, "जी बेटी हमारी कुल का नाम रोशन कर रही है।" वो बढ़ रही है।
सेक्सुअल रिलेशन बनाने से बदनामी लड़की की ही क्यों होती है, लड़के की क्यों नहीं? ज़ाहिर तौर पर या तो बदनामी दोनों की होनी चाहिए या फिर किसी की नहीं।
कभी सूरज की कड़कन से आँख-मिचोली खेलते, पढ़ाई में ध्यान लग भी जाता था, शॉल को टेंट बनाते-बनाते सारा समय निकल जाता था।
परवरिश ने कभी जिसके ख़्वाब नहीं समझे, समाज ने कभी जिसकी काबिलियत नहीं समझी, वो सज़ा भुगतती रही लड़की होने की।
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