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तोड़ डाल सारे बंधनों को, जो तेरी प्रगति की राह में कंटक हैं, दिखला दे पुरुषों को, समाज को, किसी क्षेत्र में उनसे कम नहीं तू, क्योंकि कोमल है कमजोर नहीं तू।
बेटे को घर-गृहस्थी के काम सिखाना तौहीन और उनकी परवारिश में कोई विशेष अहतियात नहीं बरतना, विचारों के इसी बुनियादी अंतर ने महिलाओं को मशीन बना दिया है।
इतनी बार अस्विकृत होने के बाद यह तो समझ ही चुकी थी कि झूठ है कि संबंध ईश्वरीय वरदान से बनते हैं।
मैंने इन 5 बातें पर गौर किया और बदलते वक्त का तक़ाज़ा कहता है, जो बातें हमें हमारी मां ने सिखाईं, वो हमारे बच्चों को, सिखाना पर्याप्त नहीं होगा।
एक पुरुष, स्त्री के बिना अधुरा है, और स्त्री को भी पुरुष की आवश्यकता है। सशक्तिकरण का मतलब, चाहे पुरुष हो या स्त्री, किसी भी सन्दर्भ में, अकेले चलना नहीं।
सम्मान दें और सम्मान पाएं, क्यूंकि मर्यादा का पालन सबको करना चाहिए, सिर्फ बहुओं या औरतों को ही नहीं। मर्यादा से ही समाज चलता है, ये न भूलें।
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