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विमेंस वेब की लेखिका स्वाति कहती हैं, "मैं चाहती हूँ कि कोई भी उन स्थितयों से न गुज़रे जिनसे हम गुज़र चुके हैं और ज़िंदगी की इस लड़ाई में वो ख़ुद को अकेला न पायें।"
अपने पिता की अंत्येष्टि के बारे में पूजा कहती हैं, कि अगर लड़कियों को वाक़ई में सबके बराबर होना है तो इस बराबरी को जीवन के अंतिम पड़ाव तक भी ले जाना होगा।
माना ज़िंदगी तेरे इम्तिहान हज़ार हैं पर इन इम्तिहानों में भी ज़िंदगी गुलज़ार है, तू अपने इम्तिहानों का सिलसिला जारी रख, नए हौंसलों के साथ हम भी तैयार हैं।
इस सफर ने मुझे अपना आकलन करने को प्रेरित किया। हम महिलाओं को रोज़मर्रा की आपाधापी के बीच अपने लिए कुछ वक़्त ज़रूर निकालना चाहिए और किसी सफ़र पर जाना चाहिए।
मैं ब्राह्मण परिवार से हूँ और मैंने एक अनुसूचित जाती के जने से शादी की है और ये बात हमारे समाज में आज भी बहुत बड़ी बात है #noregrets
पहले प्रयास के अगर मार्क्स मिलते तो मेरे नंबर नेगेटिव में आते। भगवान जी ने कोई ऐसी संरचना और इंसान ने कोई ऐसा नक्शा नहीं बनाया जैसा मेरी रोटी का आकार।
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