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वो आएँगे तुझे हर पल रास्ता भटकाने को, तुझे तेरे ही बनाये हुए रास्तों से हटाने को, पर तू चीर कर उस धारा को उससे दूर निकल।
वह कपड़ों पर इस्त्री कर रहा था, और उसकी आँखें टीवी पर आ रहे एक भावुक दृश्य को देखकर लगातार बह रही थीं, वह मुस्कुरा कर उठ गई और रसोई की तरफ चल दी।
ठीक ही कहा शेखर ने नीलिमा से कि यही हमारे समाज की विडंबना है कि दुःख में अपना सहारा खुद ही बनना पड़ता है और जब मुसीबत की घड़ी गुज़र गयी न फिर काहे का गम?
उम्र की संख्या तो बढ़ती जा रही है, लेकिन उसका जोश भी दुगनी गति से बढ़ रहा है और अब वह शिकायतों का पिटारा नहीं, निराकरण करने वाली महिला बनना चाहती है।
मैं आपको ऐसी कहानी से वाकिफ करा रही हूं जो आपकेे हौसले की उड़ान को और भी बुलंद कर देगी, कहानी सच्ची है, केवल पात्राेें के नाम परिवर्तन कियेे गये हैै।
क्या विभा की तरह आपके घर के काम भी ख़त्म नहीं होते? विभा की दीदी ने ज़िंदगी आसान बनाने के लिए कुछ बढ़िया टिप्स उसको बताये और ये टिप्स आपकी भी मदद कर सकते हैं!
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