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माला सफ़ेद के अलावा दूसरे रंग भी पहनना चाहती, कभी कभी उसका मन छोटी सी बिंदी लगाने को करता, परन्तु समाज की बेड़ियाँ को तोड़ना मुश्किल लगता था।
माँ आप ही बताओ मुझे कुछ चाहिए तो मैं किसके पास आऊँगा? आपके पास ना? तो आपको कुछ चाहिए तो आप अपनी मम्मी से ही मांगोगे ना?
जब तक जीवन है तब तक कोई ना कोई मुश्किलें आती रहेंगी। इन्ही में से कुछ लम्हे चुरा के मुस्करा लो, ज़िंदगी कबूल करो और अपना लो। एक बार मुस्कुरा दो यार!
अब गौरी को लगने लगा कि अब तुषार, माला का ध्यान रख रहा है तो कहीं उससे दूर तो नहीं चला जायेगा। तुषार समझाता कि इस समय माला और बच्चे को उसकी ज़्यादा ज़रुरत है।
एक स्त्री के अपने सपनों को पूरा करने, अपनी शर्तों पर जीवन जीने और अपनी मुश्किल बीमारी और हालात से जूझकर भी हार ना मानने की कहानी।
छवि और अनंत की शादी को पांच साल हो गए थे, पर वो माँ नहीं बन पा रही थी और जब डॉक्टर ने दोनों की जांच कराई तो पता चला कि अनंत कभी पिता नहीं बन सकता।
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