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'जो आज न बढ़ी तो कमज़ोर पड़ जाऊंगी, फिर माँ, दादी की तरह इस कुएं में तड़पती रह जाऊंगी', उस दिन मेरा अहम् जीता या उसका स्वाभिमान, नहीं जानता!
तेरा दर्द मैं समझ सकती हूं लेकिन तुझे ही गाली देंगे। तेरे ही चरित्र पर उंगलियां उठाई जायेंगी। तू ये केस वापिस ले ले वरना...
जब भी मैं मनु को फोन करती तो या तो उसकी सास या संकेत फोन उठाकर कहते हैं कि 'बिजी है, थोड़ा बाद में कर लेगी बात', और फोन काट देते।
भुवनेश रात को नशे में झूमता हुआ आता, मारपीट कर, कोमल की मर्जी के खिलाफ उसके साथ जबरदस्ती करता और सिगरेट से उसे जगह-जगह से दाग देता।
मेरे रोकने या विरोध करने पर वह पागल सा हो जाता है। रात रात भर जागता है और मुझे पलक भी नहीं झपकने देता। मैंने कई बार उसे समझने की कोशिश की...
और फिर एक स्त्री के सिसकने की आवाज़ आई। ऐसी आवाज़ जो कभी बहुत पहले दर्द होने पर चीखी होगी लेकिन अब शायद उसे शारीरिक दर्द की आदत पड़ गई हो...
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