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यादें अच्छी हों या बुरी, हमेशा दिल में रहती हैं। ये साल भी इक्कीसवीं सदी की मानव सभ्यता में एक नए और न भूलने वाले सबक के लिए याद रखे जाएँगे।
महिलाओं का पोषण वाटिका के पीछे एक और उद्देश्य है, इनका मानना है कि कोरोना और आर्थिक संकट से निपटने के लिए केवल सरकार पर निर्भर रहना गलत है।
ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय मिलकर रहते हैं। इन्हें प्रेरित करने के लिए उन्हीं के बीच से कोई जो इनकी भाषा व व्यवहार को समझता हो चाहिए।
“अरे माँ! बड़े घर की बेटी है, काम करने की आदत नहीं है उसको। कई नौकर चाकर थे उसके यहाँ। मैं ऐसा करता हूँ कि एक मेड रख देता हूँ।”
पहले ही घर का काम क्या कम होता था, जो अब ये नए चोंचले? सारा दिन तेरे बेटे को संभालो, घर के काम देखो, बुढ़ापे में मैं क्या क्या करूँ?
नागालैंड में 3 साल की बच्ची खुद डॉक्टर के पास जाती है जबकि माता-पिता काम के लिए बाहर गए थे, फोटो ने इंटरनेट पर जीता सबका दिल।
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