कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
बाहर भले ही सन्नाटा पसर गया लेकिन किसी के घर में बस शोर ही शोर था। लॉकडाउन के 76वें दिन कुछ हुआ था, क्या? आइए जानते हैं इस शॉर्ट फिल्म रिलेशनशिप मैनेजर में।
कुछ लोगों के द्वारा ऐसी सामाजिक बंदिशें बनाई गयीं...जैसे-जैसे औरतों की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे धार्मिक-कर्मकांडों से उनको जकड़ने का सिलसिला भी बढ़ता है...!
पति मोबाइल की फ़्लैशलाइट में मुँह चमकाते और आँखें मटकाते हुए बोले, "कौन नहीं पूछता! हम जो हैं! आप काम वाली थोड़े ही हो आप तो हमारी महारानी हो!"
सामाजिक पितृसत्ता का ही परिणाम है कि दिल्ली में कोरोना को लेकर जब घरों में सर्वे हो रहे हैं, तो लोग अपनी जानकारी देने से कन्नी काट करे हैं।
बारात निकलेंगी यारों की, बैंड पर नागिन-सपेरा बन लहराऐंगे, जन्मदिन पर धूम मचाकर हैप्पी बर्थडे टू यू गाऐंगें!बस कुछ दिनों की बात है!
घरेलु हिंसा के ये स्वरुप चोट तो देते हैं पर निशान नहीं देते, और ये कभी सबके सामने बोले नहीं जाते क्योंकि यहां मज़लूम ही मुज़रिम करार दिया जाता है।
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