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कोरोना नर है या मादा इसका निर्धारण कहां और कैसे हो जाता है? कोरोना देवी है देव नहीं यह तय कैसे होता है? और इसकी पूजा स्त्री ही क्यों कर रही है?
अपनी न्याय पूर्ण तथा सही पत्रकारिकता के जरिये फाये डिसूज़ा ना ही सिर्फ लोगों में जागरूकता फैला रहीं हैं बल्कि आशा की एक नई किरण भी जगा रहीं हैं।
क्या तुमने सोचा था कभी, इक ऐसा साल भी आएगा, पिता का आँगन, माँ का खाना, मैके की बस रहेगी आस,ना भाभी की ठिठोली होगी, ना भैया के सँग उल्लास।
तकलीफ इस बात की नहीं कि हम अपने आप को सर्वोपरि मानते हैं बल्कि यह मानते मानते हमने अपना वजूद, अपनी इंसानियत, खो बैठे हैं।
नंदिता दास की शॉर्ट फिल्म 'लिसन टू हर' उन दोनों शोषण की चर्चा को सतह पर लाने की कोशिश करती है जिसका अनुभव हर महिला ने कभी न कभी किया है।
आज बहुत दिनों बाद अच्छी नींद आई क्यूंकि आज मैं सुबह का अलार्म बंद करके सोई थी और मैं अब वापस पीछे मुड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं थी।
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