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तभी दीया की छोटी नंद दौड़ती हुई आती है और बड़े प्यार से कहती है, “भाभी अच्छे से तैयार हो जाओ पंडित जी आ गए हैं, पूजा होनी है।"
सत्य रानी चड्ढा भारत के दहेज़ विरोधी आंदोलन का चेहरा बन गयीं। उनके प्रयत्न के कारण अपनी बहुओं को जलाने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता।
यह सुनते ही रुचि का शर्म के मारे बुरा हाल हो गया और भाइयों के चेहरे तन गए। भाभियों की आंखों में तिरस्कार और व्यंग्य का भाव आ गया।
बहु के लाए हुए गहनों और कपड़ों की नुमाइश की जाती है। क्या कभी ऐसा किसी ने सुना है कि सास-ननद ने घर की नयी बहू को अपने गहने दिखाए हों?
रस्म अदायगी हुई और फिर नवल और उसके परिवार वालों के लिए लाए गए उपहार देने का सिलसिला शुरू हुआ जो खत्म होने का नाम ही न ले रहा था।
"जो महिलाएं और लड़कियां मर्यादा में रहना नहीं जानती उनके साथ यही सब होता है। वो तो तेरे बाप पे तरस खा के हम तैयार हो गए थे शादी के लिए।"
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