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उस गली के नुक्कड़ पर खड़े अब तुम नहीं मिलते। मेरे लिए अलग से चीजें लाने वाले और मुझे आँखों से ही समझाने वाले,अब तुम नहीं दिखते।
बदलाव की इन कहानियों से हर पिता कुछ सीख रहा है और सामाजिक संरचना के सामने दीवार बन रहा है,जो बेटियों को दहलीज के बाहर जाने नहीं देना चाहते।
लेकिन वो कॉलेज तो बहुत दूर है। कैसे जाएगी? लड़की है और वहाँ के लड़के तो एकदम गुण्डा टाइप के हैं। उस कॉलेज में लड़के रोज़ झगड़ा करते रहते हैं।
मैं तीन महीने की हो चली थी और माँ की आवाज़ पहचान कर खिलखिलाने लगी थी, जब मैंने अपने पिता के प्रथम स्पर्श को पाया।
एक लड़की जब अपने पिता को अपनी माँ का सम्मान करते हुए देखती है तभी वह लड़की अपने स्वयं के सम्मान को समझ और महत्व दे सकती है।
20 जून, 2021 को है फादर्स डे, और ये एक मौका है 'पापा की परी' के लिए सबको बताने का कि क्या रोल रहा आपकी ज़िंदगी बनाने में आपके पापा का!
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