कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
हाथ जोड़ने वाली ने अब हाथ उठाना सीख लिया, चूड़ी वाले हाथों ने अब बंदूक़ चलाना सीख लिया, नारी अब कमजोर नहीं है, नारी अब लाचार नहीं है।
सोच को बदलने का समय आ गया है, कमजोर नहीं सशक्त बनने का समय आ गया है, सिर्फ परिवार नहीं उसका स्वाभिमान भी सब पर भारी है।
प्रज्ञा सिन्हा की बेहद खूबसूरत 25 कविताओं की एन्थोलॉजी 'मैं कभी कश्मीर नहीं गई' के बारे में आज हम उन से इस इंटरव्यू में बात कर रहे हैं!
कोई कृष्ण नहीं अब आयेंग, बाधा ख़ुद आप ही हरनी है, अपनी जाति की आज तुम्हें मर्यादा ऊंची करनी है, अब अपनी दुनिया बदलनी है।
मेरी झल्लाहट पर तुम,अपना रौद्र रूप दिखलाते हो, ऐसा होने पर भी तुम काली मुझे ही बतलाते होऔर फिर एक बार शोषण मेरा कर जाते हो?
फिल्म शकुंतला देवी के रिलीज़ से पहले एक बहुत ही सुंदर कविता रिलीज़ की गई है, साईनी राज की Dear Daughters of India, जिसे विद्या बालन सुना रही हैं।
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address