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यकीन मानो, वही लड़कियां, एक दिन नाम कमाकर, दुरुस्त करती हैं समाज की वे सारी अव्यवस्थाएं, जो झेली थीं उन्होंने कभी, चुपचाप रहकर!
इतिहास गवाह है कि कल से ले कर आज तक, और ना जाने कितने और कल तक, मर्द के लिए औरत बस अपनी जीत का डंका पीटने का एक ज़रिया रही है...
तुमने उनके पंख छीन बचाया उन्हें उन खतरनाक उड़ानों से जो उन्हें हवा पे बिठा ले जा सकती थीं किसी दूसरी दुनिया में...यह दीर्घकालिक परम्परा!
मैं अब पहले की तरह मरती नहीं हूं, जीती हूं मन ही मन, दुनिया की परवाह कर आँसू बहाती नहीं हूं, अब मैं बदल गई हूं...अब मैं बदल गई हूं!
औरत का पूरा जीवन एक युद्ध ही है, और इसमें रचा है एक चक्रव्यूह, जिसमें धकेलते तो उसे सब हैं, लेकिन बाहर निकलने का रास्ता उसे कोई नहीं बताता।
तू फूल है, तू आग तो है शोला भी है, शोषण के खिलाफ चिंगारी है, तू सब की पायेदारी है, धरती हो या आकाश कहीं, तेरे ही लिए सरदारी है।
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