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फिल्म शेरशाह शहीद कप्तान विक्रम बत्रा और उनकी साथी डिंपल चीमा की कहानी भी है जिन्होंने फिर कभी शादी न करने का निर्णय लिया।
फिल्म मिमि के एक संवाद में कृति सेनन डाक्टर से कहती हैं, “पेट के बाहर किसी को मारना गलत है तो पेट के अंदर किसी को मारना कैसे सही है?”
“पागलपन की हद से ना गुजरे तो प्यार कैसा, होश में तो रिश्ते निभाए जाते हैं...” फिल्म हसीन दिलरुबा की कहानी इस संवाद के तरह ही उलझी हुई है।
अगर आप शेरनी के नाम पर विद्या बालन को शेरनी जैसा देखना चाहते हैं, तो मत देखिए फिल्म शेरनी, लेकिन कुछ कहानियां सच बयान करती है...
एक कामकाजी महिला को अपने घर व बाहर किन परिस्थितियों से गुज़रना पड़ता है, विद्या ने इसका सटीक उदाहरण फ़िल्म शेरनी में प्रस्तुत किया है।
फिल्म शादीस्थान का ये डायलाग बहुत कुछ कहता है, "हम जैसी औरतें लड़ाई करती हैं ताकि आप जैसी औरतों को अपनी दुनिया में लड़ाई न करनी पड़े।"
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