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बूस्ट का विज्ञापन हमारे सोच के दायरे, परंपरागत स्त्री-पुरुष सोच, से मुक्त होने की वकालत करता है। क्या आपने बूस्ट का नया विज्ञापन देखा है?
"बेचारा मेरा बेटा, दिन भर बच्चों से परेशान रहता है। बहुत थक जाता है बहू। रात को ज़रा इसके पैरों की मालिश तो कर देना।"
रात भर तो तुम जागती रहीं, थोड़ा सो लो, मैं हूं न! मैं नैपी बदल देता हूं, तुम दूध तैयार कर लो। क्या है पैटरनिटी लीव और इसके प्रावधान?
कमला भसीन इंटरव्यू में कहती हैं, प्रकति ने बनाया 'सेक्स', समाज ने बनाया 'जेंडर'! हम समाज को बदलना चाहते हैं, कुदरत को नहीं!
जब से सोहम हुआ था निधि का अकेले अपने दोस्तों के साथ कहीं आना जाना बंद हो गया था, जबकि नीलाभ अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल जाता।
आज बहुत दिनों बाद अच्छी नींद आई क्यूंकि आज मैं सुबह का अलार्म बंद करके सोई थी और मैं अब वापस पीछे मुड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं थी।
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