कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
पड़ोस की महिलाओं ने बबीता जी को तंज कसने शुरू कर दिए, “अगर बहू को कुछ सिखाया होता तो फटाफट कुछ बन जाता और ढील दो उसे।”
मेरे पति अपने सहकर्मियों को मेरे बनाये सैंडविच बेचते हैं, और उन पैसों से वह रेस्ट्रॉंट से अपना लंच खरीदने जाते है। यह सुनके मैं तो दंग रह गई।
कितनी बार राकेश से बोला था कि मेरे लिए मेड लगा दो, अब नहीं होता अकेले सारा काम...पर मजाल है जो राकेश उसकी बातों को सुन लें।
तुम घर की बहू हो, बेटी नहीं। तुम्हें जिम्मेदारियों का कोई एहसास है कि नहीं? रात के खाने का टाइम हो चुका है और तुम्हारा अता पता ही नहीं।
आलोक को भी अच्छा खाने का शौक था, वह निशा से रोज़ नई सब्ज़ी बनवा कर खाता, इन सब चक्करों में निशा को समय ही नहीं मिलता...
जब वो कुछ नहीं करती तब वो अपनी माँ को फोन करती है और पूछती है कि वे सारी उमर घर पर खाली बैठी आज तक बोर क्यों नहीं हुई!
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address