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सत्य रानी चड्ढा भारत के दहेज़ विरोधी आंदोलन का चेहरा बन गयीं। उनके प्रयत्न के कारण अपनी बहुओं को जलाने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता।
"बहू आयेगी तो सब ठीक हो जायेगा!" ऐसा सोच कर बहुत देखभाल कर निर्मला जी बहु के रूप में रूचि को पसंद कर घर ले आयीं।
निलेश के लिए यह रोज का था। पर रश्मी को अचरज इस बात से होता था कि कैसे कोई इंसान अपने किये को इतना अनदेखा कर सकता है?
हम सबको मिलकर इस महामारी के खिलाफ ज़ग लड़नी है। हमारा समाज चुपचाप औरतों के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर सकता। उसे एक्शन लेना पड़ेगा।
क्या प्रिया भाभी को गालियां देने वाले और पीटने वाले ये वही अमन भाई साहब हैं जिनके शराफत के किस्से बाहर की औरतें सुनाती हैं?
आज यो-यो हनी सिंह तो कल कोई और, क्यों पढ़े-लिखे वर्गों में घरेलू हिंसा तेज़ी से बढ़ रही है? घरेलू हिंसा क्या है, क्या ये सिर्फ मार-पीट है?
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