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हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति और भविष्य के लिए भाषा में परिवर्तन कीजिये अन्यथा इतने विशाल साहित्य भंडार को पढ़ने वाला कोई रहेगा ही नहीं।
हमें हिंदी को दूसरी भाषा से कमतर नहीं बनाना है न ही दूसरी भाषा को हिंदी के सामने कमतर बनाना है, दोनों ही भाषाओं की पहचान और इज़्ज़त बनाये रखनी है।
मेरे हृदय के तारों को सुर से मिलाती, बेमिसाल जादुई फ़नकार है हिंदी, मेरी मातृभाषा का मान सहेजे, माँ सा अपनत्व और व्यवहार है हिंदी!
बोलने में हिंदी होता है ख़ुद पे गर्व, सीखने में हिंदी करती हूं फक्र। हिंदी मेरी है संस्कृति, हिंदी मेरी है विरासत। हिंदी है मेरी आन, हिंदी है मेरी शान।
मुझे विदेशी भाषाओं से नफरत नहीं। हम चाहे कितना भी घूम लें, सुकून तो घर आकर ही मिलता है, वैसा ही हिन्दी में एहसास है। हिन्दी के लिए क्या बताऊँ, वो तो मां है!
चाहे कितने देश घूमें करे जतन, मातृभाषा का सुकून है वैसा, जैसा लौट के घर आओ तो झूमे मन, हर दिन हिन्दी दिवस है मेरा, हर दिन उसके ही नाम जियूं।
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