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सुजाता गुप्ता का मानना हैं कि किसी लेखक या एक पेंटर की आत्मा को अपने काम से जो ख़ुशी मिलती है, उसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता।
विनीता धीमान कहती हैं कि मेरे लिए सबसे बढ़ा अचीवमेंट्स होता है जब लोग मेरे लेख को पढ़ते है और अपनी राय मेरे साथ उस विषय पर साझा करते हैं।
समिधा नवीन वर्मा का मानना है कि हर महिला को अपनी आवाज रखनी चाहिए, बात करने से ही बात बनती है, हम अपने लिए आवाज़ उठाएंगे तभी समाज हमारी सुनेगा।
श्वेता व्यास कहती हैं कि अपने पैशन को पूरा करने के लिए थोड़े एफर्ट्स तो डालने ही पड़ते हैं, लेकिन अंत में सबसे ज्यादा ख़ुशी उसी में मिलती है।
प्रशांत प्रत्युष कहते हैं कि मेरे लेख अक्सर मेरे एक्सपीरिएंस पर होते हैं या फिर मैं महिला साथियों से पूछता हूँ कि उनका क्या मानना है।
मीनाक्षी शर्मा कहती हैं, "मेरी परवरिश ऐसे परिवार में हुई है जहां बचपन से गीता पढ़ाई गयी, क्रिएटिव चीज़ों से मुझे हमेशा से बहुत लगाव था।"
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