कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
ना से बाहर आकर देखिए, ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है, ये दुनिया बहुत खूबसूरत है - "हर रोज़ गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं, ऐ ज़िन्दगी देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं।"
"औरत हूँ, तुम जैसे ही खून हाड़-मांस हूँ। क्यों मेरी पवित्रता का दायित्व, तुम्हारी छोटी सोच पर निर्भर है? अरे हो कौन तुम जिसका जीवन मेरी ही देन है?"
"साथ मिलकर गाई, बेसुरी ग़ज़लों में; तेरे लिए लिखी कविता की,अधूरी पंक्तियों में", तेरे साथ बिताये हर लम्हे में, तू तो नहीं पर तेरी एक याद बाकी है।
"हर उस गलती की माफी माँगे, आज माँ, हम भी तो हैं माँ अभी, कर दो माफ आज माँ" - हर बात समझाने का ज़िंदगी का एक अलग ही अंदाज़ है।
जो आरोप अब निकले हैं #MeToo की वजह से, उनकी जाँच तो होनी हीं चाहिए ताकि हर उस इंसान का वह चेहरा सामने आए, जो उसने अपने प्रत्यक्ष चेहरे के पीछे छुपाकर रखा है|
उन तमाम हँसते चेहरों को समर्पित - "जिनके दिल के, किसी बियाबान कोने में, रोज़ - एक हूक सी उठती है, जीने के लिए, अपनी मर्ज़ी का एक दिन।"
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